Tuesday, 6 February 2018

राष्ट्रगान की असली सच्चाई ?



हमारे देश में राष्ट्रगान को 24 जनवरी 1950 में राष्ट्रगान का दर्जा मिला था. तभी से राष्ट्रगान सभी राष्ट्रीय कार्यक्रमों पर गाते आ रहे हैं. इस राष्ट्रगान को रवीन्द्र नाथ टेगोर ने 1905 में बंगाली भाषा में लिखा था. इसे गाने में 52 सेकंड का समय लगता है इसमें 5 पद हैं. रविंद्रनाथ ने इसे लिखा ही नहीं बल्कि इसे गाया भी. उन्होंने इसे Andhra Pradesh के एक जिले मदंपिल्ले में गाया था. 

आधिकारिक तौर पर दूसरी बार इसे कांग्रेस की Calcutta मीटिंग में गाया गया था. पहले Bande Matram को राष्ट्रगान बनाने की कोशिशें चल रही थी किन्तु उसको ये दर्जा नहीं दिया जा सका क्योकि कुछ लोग इसे हिन्दू धर्म से जुड़ा मानकर इसका विरोध करने लगे. फिर बाद में जन गण मन पर स्वीकृति मिल गयी और राष्ट्रगान का दर्जा मिल गाया.


हिंदुस्तान में अंग्रेजों से समर्थक बहुत बड़ी संख्या में रहे| बल्कि अंग्रेजों के तलवे चटने वाले घराने इस देश में रहे| अंग्रेजों की जी हुजूरी करने वाले घराने इस देश में रहे. जिन खानदानों ने अंग्रेजों के जितने तलवे कहते उन्ही खानदानों का नाम बड़े गर्व से लेते हैं इस देश में. जो लोग अंग्रेजो के सामने साष्टांग दंडवत हो जाते थे ऐसे ही लोगो को हमारे देश के इतिहास में पढाया जाता है. ऐसा ही एक खानदान था जो अंग्रेजों की गुलामी में इस कदर डूबा हुआ था, उस खानदान का नाम था “टेगोर” खानदान. इस खानदान का एक व्यक्ति था जिसका नाम था “रविन्द्र नाथ टेगोर”. रविन्द्र नाथ टेगोर ने ब्रिटेन के राजा “जोर्ज पंचम” के स्वागत के लिए एक गीत लिख दिया बल्कि गीत ही नहीं लिखा जब कलकत्ता में जोर्ज पंचम पहुंचा जहाँ भरी सभा में लाखों लोग मौजूद थे, वहां भारत  की गुलामी का गीत गया गया और ब्रिटेन के किंग का सम्मान किया गया. और ये काम खुद रविन्द्र नाथ टेगोर ने किया. वो गीत वही है जिसको आप सब लोग “राष्ट्रगान” कहते हैं| “जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता” मेरे देश में उस गीत को बार गाया जाये ये राष्ट्रीय अपमान का प्रतीक है | 

आपने ध्यान दिया कि उस गीत के शब्दों का मतलब क्या है ? 

“जन गण मन अधिनायक जय हे| भारत भाग्य विधाता| पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा, द्रविड़ उत्कल बंग| विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्छल जलधि तरंग| तब शुभ नामे जागे , तब शुभ आशीष मांगे | गाहे तब जय गाथा| जन-गण मंगलदायक जय हे, भारत भग्य बिधाता| जय हे जय हे जय हे , जय जय जय हे” || 

-----------हे जोर्ज पंचम, तुम, हिंदुस्तान की जनता के मनों के अधिनायक हो तुम्हारी जय हो | तुम भारत के भाग्य विधता हो यानि तुम हमारा भाग्य लिखने वाले हो| ये पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा विन्ध्याचल हिमाचल गंगा यमुना , अर्थात ये सारा सब कुछ जो हिन्दूस्तान में है उसके आप स्वामी हो, ये सब हिन्दुस्तानी इलाका तुम्हारे लिए आशीष मांग रहा है और आपकी विजय गाथा का गुणगान कर रहा है. तुम्हारी भलाई की प्रार्थना कर रहा है हम वो आशीष दे रहे हैं आपको भारत के बिधाता तुम्हारा मंगल हो, तुम्हारा कल्याण हो. हे भारत की जनता का भला करने वाले भारत के स्वामी अर्थात भारत का भाग्य लिखने वाले, आपकी जय हो. आपकी जय हो हमेशा जय हो. 

मतलब जो हमें गुलाम बनाने आये है उसकी चाटुकारिता में आदमी कितना बिक सकता है इसका ये निकृष्ट नमूना है. ऐसा गुलामी का प्रतीक गीत गया भारत  में, और जब ये गीत गाकर रविंद्रनाथ, राजा के चरणों में लेट गए थे तब अंग्रेजों ने उनको “नोबल प्राइज” दिलवा दिया था इनाम  के रूप में. Ravindra  Nath Tagore  को ऐसे ही Noble Prize  नहीं मिला था. 

जो अंग्रेजों की जिनती ज्यादा चाटुकारिता करता, अंग्रेजों के जितने पैर चाटता, उसी को अंग्रेजी सरकार “Ray Bahadur”, “Knight Hood ” की उपाधियाँ  देती थी, ऐसे ही लोगो को उपाधि  मिलती थीं  जो देश को  गालियां देकर अंग्रेजों के वफादार होने का प्रमाण देते थे | 

आपने देखा सुना होगा कि कुछ लोग राजा की तारीफ  किया करते थे चाहे राजा कितना ही गन्दा, कमीना, लफंगा, लुच्चा क्यों ना हो. बदले में राजा उनको इनाम बाटता था. उसी तरह भारत का गीत है “जन गण मन “ भारत का गीत तो बंदेमातरम रहा है जो गीत भारत  की आज़ादी की लडाई का Symbol  था जो देश के लोगों में जोश भरने का काम करता था उस गीत को आज़ादी के बाद राष्ट्रीय दर्जा दिलवाने में 50  साल struggle  करना पड़ा. 

लेकिन जो गुलामी का गीत था “जन गण मन” आज़ादी के तुरंत बाद हिंदुस्तान के उन गुलाम लोगों ने जो दिमाग से गुलाम थे उन्होंने उसे हिंदुस्तान का राष्ट्रीय गीत बनाया. आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे कि Congress के दो अधिवेशन हुए उनमे ये सर्व सम्मती से ये तय हुआ था की आज़ादी के बाद जन गण मन हमारा राष्ट्र गीत नहीं रहेगा ये फैसला हुआ था. मगर उसी कमेटी के गद्दार नेताओं ने देश का राष्ट्रीय गीत घोषित करवा दिया. 


मेरे देशवाशियो अब समय है उन् देश के गद्दारों को पहचानो जो देश को गुमराह और धोखा देते आये हैं, उन बड़े बड़े घरानों को जन लो|

No comments:

Post a Comment